
मैं एक वैध हू ओर अपने गुरु से सिखा है ओर आज भी वो ओर ना ही मैं कोई फीस नही लेते हैं हा दवा उनको ही मगवानी पडती है क्योकी मैं इतना संपन नही हू बस किसी की भलाई करना अच्छा लगता है ओर एक सँकल्प है अच्छे वैधो को बचाने काओर हाथ की नब्ज देखकर ही ईलाज कर्ता हू हा साथ मे कुछ चीजे मरीज से पूछनी भी पड़ति है...