एक परफेक्ट रिश्ता
रुचा की जिंदगी बिल्कुल परियों की कहानी जैसी लगती थी — स्मार्ट लड़की, शानदार करियर, और एक ऐसा रिश्ता जो चार साल से चल रहा था। अर्जुन उसके कॉलेज का सीनियर था और अब उसका हमसफ़र।
रुचा ने अपना हर सपना अर्जुन के साथ देखना शुरू किया — शादी, ट्रेवलिंग, बच्चों के नाम तक सोच रखे थे। हर सुबह अर्जुन का “गुड मॉर्निंग” मैसेज और हर रात की “गुड नाइट” कॉल उसके दिन की शुरुआत और अंत बन चुकी थी।
प्यार की लत सी हो गई थी।
जब सब कुछ बदल गया
एक दिन अर्जुन का बर्ताव बदलने लगा।
अब वो कॉल्स का जवाब देर से देने लगा। मिलने का समय टालने लगा। और एक दिन उसने कहा –
"रुचा, मुझे लगता है... हमें अब अलग हो जाना चाहिए।"
रुचा का दिल धड़धड़ाने लगा। उसे लगा शायद मज़ाक कर रहा है। लेकिन नहीं, यह मज़ाक नहीं था – यह अंत था।
खालीपन का दौर
रुचा के लिए यह कोई साधारण ब्रेकअप नहीं था – यह उसकी पहचान खो जाने जैसा था।
- उसने खाना पीना बंद कर दिया
- ऑफिस जाना बंद कर दिया
- दिन भर रोती रहती और पुरानी चैट्स पढ़ती
वो सोचती –
“मैं इतनी बेकार हूं कि कोई मेरे साथ नहीं रहना चाहता?”
“क्या मुझसे कुछ गलत हुआ?”
हर सुबह वो उठती, लेकिन जीने का कोई कारण नहीं दिखता। लोग कहते – “भूल जाओ, सब चलता है।”
पर कोई नहीं जानता था कि अंदर क्या तूफान चल रहा है।
डिप्रेशन की शुरुआत
रुचा ने ये सब बस “ब्रेकअप का दर्द” समझा। लेकिन असल में, डिप्रेशन ने घर बना लिया था।
डिप्रेशन के लक्षण जो उसे दिखने लगे:
- भूख खत्म
- नींद गायब
- आत्मग्लानि
- अकेलापन
- जीने की इच्छा खत्म
उसके दिमाग में बार-बार वही सवाल आते –
“क्या वो किसी और के साथ है?”, “क्या वो खुश है?”, “मैं इतनी टूटी क्यों हूं?”
डिप्रेशन के कारण – रुचा की आंखों से
1. भावनात्मक टूटन
रुचा ने अर्जुन को सिर्फ प्रेमी नहीं, जीवनसाथी मान लिया था। जब वो गया, तो दिल के साथ-साथ मन भी बिखर गया।
2. आदत का खत्म हो जाना
हर रोज जो कॉल, मैसेज, गले लगना, अब सब खत्म। दिमाग की आदत टूट गई।
3. अकेलापन और शर्म
दोस्तों और परिवार से बात करने में शर्म आने लगी। वो सोचती – “लोग क्या कहेंगे?”
4. सोशल मीडिया का ज़हर
हर जगह उसकी पुरानी तस्वीरें, Reels, memories… और अर्जुन का "move on" कर जाना।
5. आत्मग्लानि और खुद को दोष देना
रुचा सोचती रही — “अगर मैं और सुंदर होती, कम गुस्सा करती, ज़्यादा समझती, तो शायद वो रहता।”
इलाज की शुरुआत
रुचा का भाई विक्रम उसके पास आया और बोला —
“तू अब रुचा नहीं लगती… चल, किसी से बात करते हैं।”
शुरू में वो झिझकी। लेकिन फिर एक थैरेपिस्ट से मिलना शुरू किया।
थैरेपी में रुचा ने सीखा:
- दर्द को दबाना नहीं, स्वीकारना होता है
- अर्जुन उसका भाग्य नहीं था — वो उसका अनुभव था
- डिप्रेशन कमजोरी नहीं, इलाज योग्य बीमारी है
नई रुचा की शुरुआत
रुचा ने एक जर्नल लेना शुरू किया। हर दिन की भावनाएं उसमें लिखती।
वो अब सुबह उठकर 10 मिनट ध्यान करती। इंस्टाग्राम डिलीट किया। नई किताबें पढ़ना शुरू किया।
धीरे-धीरे रुचा ने महसूस किया —
“मैं अधूरी नहीं हूं… मैं खुद एक मुकम्मल कहानी हूं।”
उसने अपना ब्लॉग शुरू किया —
“दिल से दिल तक”
जहाँ वो ब्रेकअप, डिप्रेशन और हीलिंग पर अपने अनुभव शेयर करने लगी।
जो गुज़रा, वो जरूरी था
आज रुचा फिर से ऑफिस जाती है। फिर से हंसती है। फर्क सिर्फ इतना है —
अब वो किसी और से नहीं, खुद से प्यार करती है।
“अर्जुन ने मुझे तोड़ा,
लेकिन उसी ने मुझे खुद से जोड़ने का रास्ता दिया।”
ब्रेकअप डिप्रेशन का अंत नहीं – नई शुरुआत हो सकती है
डिप्रेशन तब होता है जब हम किसी व्यक्ति को अपने जीवन का केंद्र बना लेते हैं। जब वो चला जाता है, तो लगता है जैसे सब खत्म हो गया। लेकिन सच ये है —
आपका जीवन किसी एक इंसान के जाने से खत्म नहीं होता।
बल्कि वही मोड़ आपको खुद से मिलवाता है।
ब्रेकअप के बाद डिप्रेशन से बाहर आने के 5 टिप्स (रुचा के अनुभव से)
- स्वीकार करें कि आप टूटे हैं – ये कमजोरी नहीं है
- थैरेपिस्ट या काउंसलर से बात करें
- सोशल मीडिया से ब्रेक लें
- जर्नलिंग, योग और ध्यान को अपनाएं
- कुछ नया शुरू करें – खुद के लिए
अगर आपको मदद की ज़रूरत है – भारत में हेल्पलाइन नंबर
- iCall (TISS): +91 9152987821
- AASRA: 91-22-27546669
- Vandrevala Foundation: 1860 266 2345 / 9999 666 555
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