अंदर का तूफान, बाहर की शांति
मुंबई में रहने वाली 27 वर्षीय अनामिका एक कॉर्पोरेट कंपनी में कार्यरत थी। सब कुछ ठीक चल रहा था — अच्छी नौकरी, बढ़िया वेतन, और एक खूबसूरत सोशल मीडिया प्रोफाइल। लेकिन अंदर ही अंदर वह टूट रही थी।
हर सुबह जागना कठिन लगने लगा, ऑफिस जाने का मन नहीं करता, और दोस्तों से मिलना बोझ बन चुका था।
उसने सोचा, "शायद ये बस थकान है," और नज़रअंदाज़ करती रही।
लेकिन ये थकान नहीं थी — ये डिप्रेशन के शुरुआती लक्षण थे।
डिप्रेशन क्या है?
डिप्रेशन यानी अवसाद एक मानसिक स्वास्थ्य स्थिति है जिसमें व्यक्ति निरंतर उदासी, नकारात्मक विचार, और जीवन के प्रति अरुचि अनुभव करता है। यह कोई मन की कमजोरी नहीं, बल्कि एक इलाज़ योग्य मानसिक रोग है।
डिप्रेशन के शुरुआती 10 लक्षण – जिन्हें अक्सर नजरअंदाज किया जाता है
1. हमेशा थकावट महसूस होना – बिना किसी शारीरिक मेहनत के
“मैं तो कुछ करता भी नहीं, फिर इतनी थकान क्यों?” – अनामिका खुद से रोज़ पूछती थी।
डिप्रेशन के शुरुआती चरणों में शरीर और मन दोनों थकने लगते हैं। यह थकान नींद से भी नहीं जाती।
संकेत:
- हर समय शरीर भारी लगना
- किसी भी काम में ऊर्जा न लगना
- बिस्तर से उठने में भी परेशानी
2. नींद की समस्या (Insomnia या Hypersomnia)
नींद जीवन की आधारशिला है, लेकिन डिप्रेशन में यह गड़बड़ा जाती है।
दो तरह की नींद की समस्या होती है:
- नींद न आना (Insomnia): रात भर करवटें बदलना
- बहुत ज्यादा नींद आना (Hypersomnia): दिन भर सोने का मन करना
संकेत:
- आधी रात को जाग जाना
- सुबह उठने का मन न करना
- नींद पूरी होने के बाद भी थकान रहना
3. छोटी-छोटी बातों पर चिड़चिड़ापन
“क्यों चिल्ला रही हो इतनी सी बात पर?” – अनामिका की मां ने कहा।
डिप्रेशन की शुरुआत में व्यक्ति का व्यवहार अचानक चिड़चिड़ा, गुस्सैल या तुनकमिजाज हो सकता है।
संकेत:
- बात-बात पर गुस्सा आना
- सहनशीलता में कमी
- खुद से ही नाराज रहना
4. सामाजिक दूरी (Social Withdrawal)
जो लोग हमेशा हंसते-खेलते थे, वो धीरे-धीरे चुप रहने लगते हैं।
संकेत:
- दोस्तों के कॉल/मैसेज का जवाब न देना
- मीटिंग्स या सोशल गैदरिंग से बचना
- अकेले रहना पसंद करना
5. जीवन में रुचि की कमी (Loss of Interest)
डिप्रेशन का एक बड़ा संकेत है — जिसमें आपको वो चीजें भी खुश नहीं करतीं, जो पहले किया करती थीं।
संकेत:
- शौक या हॉबीज़ में मन न लगना
- टीवी, संगीत, या किताबें भी बोरिंग लगना
- सेक्स ड्राइव का पूरी तरह खत्म हो जाना
6. आत्मसम्मान में गिरावट और आत्मग्लानि
"मैं बेकार हूं, मैं किसी लायक नहीं हूं।" – ऐसे विचार डिप्रेशन की ओर इशारा करते हैं।
संकेत:
- खुद को बार-बार दोष देना
- खुद पर शर्म आना
- आत्मविश्वास खत्म हो जाना
7. नकारात्मक सोचों का बढ़ना
“मेरे साथ सब कुछ बुरा ही होता है”, “कुछ भी सही नहीं होगा।”
डिप्रेशन के शुरू में व्यक्ति हर चीज को नकारात्मक नजर से देखने लगता है।
संकेत:
- भविष्य के बारे में डर
- किसी भी स्थिति में आशा न देख पाना
- खुद को अयोग्य मानना
8. एकाग्रता की कमी और निर्णय लेने में कठिनाई
डिप्रेशन के शुरुआती लक्षणों में से एक है — सोचने और समझने की क्षमता में गिरावट।
संकेत:
- किताब या स्क्रीन पर ध्यान न लगना
- फैसले लेने में समय लगना
- छोटी-छोटी चीज़ें भूल जाना
9. भूख में बदलाव और वजन का असंतुलन
शरीर हमारी मानसिक स्थिति को दर्शाता है।
संकेत:
- भूख कम लगना या ज़रूरत से ज़्यादा खाना
- वजन तेजी से बढ़ना या घटना
- पेट संबंधी समस्याएं
10. बार-बार मरने का ख्याल आना (Suicidal Thoughts)
यह डिप्रेशन का सबसे गंभीर लक्षण होता है, जिसे कभी नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।
संकेत:
- “काश मैं सोकर उठूं ही न”, “अगर मैं न रहूं तो क्या फर्क पड़ेगा”
- आत्महत्या के तरीके गूगल करना
- खुद को नुकसान पहुंचाना
इन लक्षणों को गंभीरता से क्यों लेना जरूरी है?
डिप्रेशन एक धीमी लेकिन खतरनाक बीमारी है। यदि समय रहते इसकी पहचान और इलाज न हो तो यह:
- रिश्तों को खत्म कर सकता है
- करियर बर्बाद कर सकता है
- जीवन खत्म करने की ओर ले जा सकता है
लेकिन अच्छी बात यह है – डिप्रेशन पूरी तरह से ठीक हो सकता है।
क्या करें जब शुरुआती लक्षण नजर आएं?
- स्वीकार करें – कि आप ठीक नहीं हैं, और यह सामान्य है
- बात करें – किसी विश्वसनीय व्यक्ति से
- थैरेपी लें – मनोचिकित्सक से मिलें
- योग और ध्यान – रोज़ कुछ मिनट प्राणायाम करें
- स्वस्थ दिनचर्या – नींद, भोजन, और शारीरिक गतिविधि पर ध्यान दें
- आत्म-संवाद – सकारात्मक बातें खुद से बोलें
- डिजिटल ब्रेक – सोशल मीडिया से दूरी बनाएं
- रचनात्मक कार्य करें – जैसे लिखना, चित्र बनाना, संगीत सुनना
- जर्नलिंग – हर दिन का अनुभव लिखें
- जरूरत हो तो दवाएं लें – डॉक्टर की सलाह से
महत्वपूर्ण हेल्पलाइन नंबर
iCall (TISS): +91 9152987821
AASRA: 91-22-27546669नजरअंदाज करना सबसे बड़ी गलती हो सकती है
डिप्रेशन के शुरुआती लक्षण बहुत ही सामान्य लग सकते हैं — जैसे थकान, नींद न आना, या मूड खराब रहना। लेकिन अगर ये लगातार बने रहें, तो इन्हें अनदेखा करना खतरनाक हो सकता है।
“मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल उतनी ही जरूरी है, जितनी शारीरिक स्वास्थ्य की।”







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