नहाते समय सबसे पहले सर पर पानी क्यों नहीं डालना चाहिए?

 


देखा जाए तो नहाना या स्नान करना हम एक सामान्य प्रकिया के तौर पर लेते हैं।

अरे, नहाना ही तो है; इसमें कौन सी बड़ी बात है?

फटाफट बाथरूम में जाना है और नहाकर निकल जाना है।

लेकिन, ठहरिए, ठहरिए !!

स्नान करने या नहाने में हमें थोड़ी सी सावधानी बरतने की ज़रुरत है।

वो क्या है ?

हमारे जीवन शैली के बारे में हमारे पूर्वजों और ऋषि-मुनियों ने बहुत सारी बाते बताई हैं, जो वैज्ञानिक रूप से भी तार्किक मानी जाती हैं।

सवाल यह है कि नहाते समय सबसे पहले सर पर पानी क्यों नहीं डालना चाहिए?

इसके महत्त्वपूर्ण कारण यह हैं:-

  • इसका सरल सा जवाब यह है कि दरअसल, शरीर में सिर वाला हिस्सा सबसे ज्यादा गर्म होता है और पैर वाला हिस्सा सबसे ठंडा होता है।
  • ऐसे में जब हम सिर पर पहले पानी डालते हैं तो शरीर का टेम्परेचर अचानक से डाउन हो जाता है।
  • सिर पर पहले पानी डालने का नुकसान ये होता है कि पूरे शरीर से ब्लड इंसान के सिर तक पहुंचता है। जिससे किसी को भी चक्कर आ सकता है।
  • विशेषज्ञों का कहना है कि ब्लड सर्कुलेशन ऊपर से नीचे यानी सिर से पैर की तरफ होता है। सिर पर सीधे ठंडा पानी पड़ने की वजह से मस्तिष्क की रक्त वाहिकाएं सिकुड़ जाती हैं और सिर भी ठंडा होने लगता है।
  • इससे शरीर में खून का प्रवाह अचानक से कम हो जाता है।
  • दरअसल, ब्लड का सर्कुलेशन ऊपर से नीचे होने के चलते दिमाग की नस फटने या हार्ट अटैक का जोखिम भी बढ़ जाता है।
  • हालांकि, ये समस्या आम तौर पर दिल के मरीजों को हो सकती है।
  • सामान्य लोग नहाने के इस तरीके से बहुत ज्यादा प्रभावित नहीं होते हैं।

    लेकिन नहाने का सही तरीका यही होना चाहिए कि सबसे पहले पाँव को भिगोना चाहिए।

    पैरों से शुरुआत करके अपनी जाँघों पर, फिर पेट पर उसके बाद अन्य हिस्सों पर पानी डालना चाहिए ।

    इसका मतलब नहाने की शुरुआत नीचे से करनी चाहिए और फिर ऊपर जाना चाहिए।

    ऐसा करने से इंसान को मानसिक शक्ति मिलती है और तनाव से मुक्ति भी मिलती है।

    कुछ लोगों का मानना है कि ये हमारे समाज में फैलाई गई भ्रांति है कि "ज्यादातर ब्रेन स्ट्रोक या हार्ट अटैक बाथरूम में आता है।"

    लेकिन मैं यहाँ यही कहना चाहूँगी कि या भ्रांति नहीं बल्कि एक सच्चाई है।

    अब निश्चित रूप से ऐसा कहने के पीछे कोई न कोई महत्त्वपूर्ण और सही तथ्य जरूर होगा।

    इसकी पुष्टि के लिए एक उदाहरण देना चाहूँगी।

    मेरी एक बहुत अच्छी मित्र, जो नैरोबी के दिनों से हमारी मित्र थीं। दो साल पहले हमारे बेटे की शादी में अपने पति के साथ आयी थीं। दोनों ही हमारे परिवार के सदस्य जैसे हो गए थे।

    वो दिल्ली में रहते थे।

    पिछले साल मई के महीने में अचानक सोशल मीडिया पर उनके न रहने की खबर आयी। पढ़कर विश्वास नहीं हुआ कि क्या हुआ होगा?

    कहीं कोविड तो नहीं?

    थोड़े दिनों बाद हमने फोन किया और उनके पति से बातें हुई तो मालूम पड़ा कि उनकी पत्नी की मौत बाथरूम में नहाने के दौरान हो गई।

    उन्होंने पूरी घटना हमें बताई।

    वो सुबह का नाश्ता बनाकर अपने पति से यह कहकर नहाने गईं कि नहाकर आते हैं, फिर साथ में नाश्ता करेंगे।

    भाई साहब ने बताया कि उनकी पत्नी जब एक घंटे के बाद भी बाथरूम से नहीं निकली, तो वो खुद उन्हें देखने गए। किसी तरह बाशरूम खुलवाने के बाद देखा तो उनकी पत्नी बेसुध गिरी हुई थीं।

    उन्हें बाहर लाकर डॉक्टर को दिखाया गया तो मालूम पड़ा कि सीधे सर पर ठंडा पानी डाल लेने से उन्हें ब्रेन स्ट्रोक हो गया था हार्ट ने काम करना बंद कर दिया था।

    विश्वास नहीं हो रहा था कि एक अच्छा खासा स्वस्थ इंसान इस तरह से जा सकता है। जबकि उन्हें ब्लड प्रेशर था और कुछ नहीं।

    पर जो दुर्घटना हुई उसकी वजह यही थी कि गर्मी में सर पर एकदम से ठंडा पानी डालना।

    जरुरी नहीं है कि सबके साथ यही हो, लेकिन जानते हुए किसी को भी ऐसी गलती नहीं करनी चाहिए।

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